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Showing posts from 2008

सरप्राइज को सरप्राइज

क्या इन्हें कोई हक नहीं

सिर्फ दारू ही `गीली´ बाकी सब `सूखा´

मेरा एक सुधी मित्र

देश की सुरक्षा पर भी सियासत

मैं जा रही हूँ...

रोया बहुत हूं मैं...

मुझे माफ कर मेरे बाप

तमाशे में मेरे, दिखाने को कुछ भी नहीं...

रिक्शे पर `एमएलए´ साहब

मेरा अखबार

श्रीरामजी आ गए हैं...

जिंदगी `प्योर झंड´ है भाई...

भोत ही चालू लुगाई है...

पूरी रात गूंजा चीत्कार

आठ गुलाबजामुन और ग्यारह लड्डू

सरदार फ्रेंचकट नहीं रखते तो बेचारे अक्षय कुमार का क्या दोष

कहानी पूरी फिल्मी है...

फैसला तो हो चूका ज्योति

अध्यक्ष जी की कुंवारी कॉल

मेरा दर्द

सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे

पत्रकार संघ के चुनाव

मेरी रचना

घर का चिराग

डॉक्टर की चाय

साब बड़े दयालु हैं

मेरी रचना