रोया बहुत हूं मैं...

ढूंढोगे कैसे, खोया बहुत हूं मैं।
कसम खुदा की, रोया बहुत हूं मैं।
कुछ दिनों से आंखें कुलबुला रही,
जिंदगी में अपनी, सोया बहुत हूं मैं।
जो मुझपे ऐतबार, तो गलती है आपकी
जानते नहीं क्या, दोया बहुत हूं मैं।
अंदर चिरागे रोशन, बाहर खड़ा हूं मैं,
बस इसी के काबिल, गोया बहुत हूं मैं।
आ मेरे पदशाह आ, बोझ ये उतार दे,
इस गमी को सर पे, ढोया बहुत हूं मैं।
कौन रहने देगा, फूलों की आड़ में
अब तलक तो कांटे, बोया रहा हूं मैं।
जो मिला कहीं तो, फिर सुनूंगा हाल,
कूचों में तेरी बाट, जोया बहुत हूं मैं।