मैं जा रही हूँ...

`मैं जा रही हूँ´
`क्यों´
`प्लीज´
`क्या करोगी´
`सर मैंने बताया था ना आपको, हर गुरुवार को मेरी इंग्लिश क्लास होती है।´
`तो´
`जाना जरूरी है।´
`ड्यूटी भी जरूरी है।´
`पर सर काम तो सारा हो गया ना...´
`फिर´
`जाने दो ना प्लीज´
`कुछ देर और रुको, मैं अभी आता हूं।´

मनीषा और उसके मैनजेर में ये बातें लगभग रोज होती थीं। कहानी काल्पनिक है, परन्तु ऐसी घटनाएं आमतौर पर हर जगह होती रहती हैं। मनीषा एक एक्सचेंज कम्पनी में काम करती है, यह कोई और सेक्टर भी हो सकता है। उसकी ड्यूटी सुबह दस से चार बजे तक की है। मनीषा गुरुवार को इंग्लिश क्लास जाती है। इसलिए उसे हर गुरुवार इंचार्ज साहब की लल्लो-चप्पो करनी पड़ती है। या मान लो लल्लो-चप्पो रोज ही करनी होती है, क्योंकि मैनजेर साहब उसे किसी न किसी बहाने से आधाक घंटा लेट तो छोड़ते ही हैं। पर अभी मैनजेर साहब कहां गए हैं, मनीषा को इसी की फिक्र है। आखिर ढूंढ लिया मनीषा ने, अपने अन्य दो साथियों के साथ गप्पें लड़ा रहे थे।

`साली बहुत संघर्ष करती है ये लड़की।´ मनीषा को आते देखकर उसके मैनजेर ने कहा।
`कैसे?´ दूसरे ने पूछा। तीसरा उसके मुंह की ओर ताकने लगा कि कैसे यह लड़की संघर्ष करती है।
`ऑफिस से जल्दी जाने के लिए मेरे साथ और बाहर जाकर उसके साथ। संघर्ष ही संघर्ष´ मैनजेर फिर बोला।
`सर मैं जाऊं क्या। पन्द्रह मिनट लेट हो गई।´ मनीषा पास आकर बोली।
मैनजेर ने मनीषा की आंखों में आंखें डालकर कुछ कहने की कोशिश की और उसके कंधे पर हाथ फिराया।
`क्यों। कोई इंतजार कर रहा है क्या।´
`क्लास है ना सर।´
मैनजेर ने मनीषा के कंधे से हाथ फिराकर हिप्स तक ले आया और थोड़ा हंस दिया। साथ के दोनों जोड़ीदारों में से एक ने मोबाइल कान पर लगा लिया और दूसरा किसी कागज में खो गया।
मनीषा समझ गई। सर की हां है।
`अच्छा। कल मिलूंगी।´
`देखो क्लास चार बजे के बाद की करवा लो। और कल ऑफिस टाइम से आ जाना।´
`जी´ मनीषा दौड़कर बाहर चली गई।
`ये बाहर वाला कौन है।´ जोड़ीदार ने पूछा।
`साली मजनू के पास जाती है। हम कम हैं क्या। बचेगी नहीं जल्दी टिका दूंगा।´
उधर मनीषा के मोबाइल पर पिछले पच्चीस मिनट में दो कॉल और दसेक मिस्ड कॉल आ चुके थे। आखिरी कॉल मनीषा ने उठा ली।
`बार-बार फोन करने से क्या होगा। चपलू ने रोक रखा था। आ रही हूं ना।´ मनीषा ने विकास को डांटा। (नाम- राम, गोपाल, मोहन, श्याम- भी हो सकता है...)
`चपलू को तो मैं टिका दूंगा इस बार।´ विकास की आवाज आई।
`बेवकूफ। तू चुप रहा कर। उसे तो मैं ही चूतिया बना देती हूं।´ शायद मनीषा ने ऐसा ना कहा हो, पर हो भी सकता है कि कह ही दिया हो।