टोटल टाइमपास

`कुछ और सुनाओ ना..`
`क्यों ये अच्छा नहीं लगा`
`गाना अच्छा नहीं, तुम्हारी आवाज अच्छी है।`
`तो फिर...`
`बस ऐसे ही। कुछ और सुना दो ना प्लीज
`कौनसा सुनाऊं`
`जो तुम्हे पसंद हो...`
`ऊं ऊं ऊं` इधर वाला थोड़ी देर सोचने का प्रयास करता है।
`मुझे तो ऐसे ही बेवफाई वाले गाने याद हैं। तुम खुद ही बता दो ना।`
`नहीं अपनी पसंद का ही कोई भी सुना दो।`
`आ... आ` इधर वाले ने अलाप लिया- `तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम...`
`तो फिर फोन भी मत करना कभी...`
`तुम्ही ने तो कहा, जो पसंद हो सुना दो।`
`लेकिन तुम्हारी पसंद ऐसी होगी... छी`
`चलो दूसरा सुनो - आ... आ...` इधर वाले ने बिल्कुल नीचे का सुर लगाया और कंठ से भारी आवाज में बोला- `दिन ढल जाए हाए, रात ना जाए...` पूरा मुखड़ा सुनाया। नीचे के सुर में गाने के कारण इधर वाले का मन भारी हो गया और उसकी आंख से करीब चार आंसू निकल आए। दूसरी तरफ से कोई हलचल नहीं थी।
`तुम्हे भी रोना आ गया ना...` इधर वाले ने पूछा।
`क्यों`
`मेरी आंखों से तो आंसू आ गए। क्या खूबसूरत गीत है।` इधर वाले ने कहा।
`मैंने तो पहली बार सुना है। वो भी तुम से...`
`सच... सीडी मंगवाकर सुनना। कसम से आंख तर न हो जाए तो।` इधर वाले ने खुद की ठुड्डी के नीचे गले की चमड़ी खींचते हुए कहा।
`क्या तुमको सिर्फ `हाए-फाए` वाले गाने ही पसंद है।`
`मैं मुकेश साहब का फैन हूं।` इधर वाले ने कहा।
`ये कहां रहते हैं।`
`बेवकूफ बहुत बड़े गायक थे। अब ये नहीं रहे। भारतीय संगीत में इनका बहुत बड़ा योगदान है।` इधर वाले को `बेवकूफ` शब्द का भारी अफसोस हुआ। कहीं उधर वाले ने गुस्से में आकर फोन रख दिया तो इतने सारे गाने सुनाने का कोई फायदा नहीं होगा।
`चलो तुम्हारी पसंद का सुनाता हूं।` इधर वाले ने जल्दी दूसरे गाने के लिए सुर मिलाया। उसे लगा कहीं थोड़ा भी समय उधर वाले को ऊपर वाले वाक्य को समझने में दे दिया, तो महीनों की मेहनत पर पानी फिरा समझो।
`प्यार तुम्हे प्यार तुम्हे कितना....`
`ये फिल्म तो मेरी देखी हुई है। रानी मुखर्जी थी इस फिल्म में।` उधर वाले ने बीच में ही बात शुरू कर दी।
`अच्छा, गाना अच्छा लगा।` इधर वाले ने पूछा।
`सबसे घटिया गाना था। इसे मत ही सुनाना प्लीज...`
`लेकिन उस फिल्म में रानी नहीं थी। महिमा चौधरी थी।` इधर वाले ने कहा।
`कोई भी हो मेरी बला से। उसकी पहली और आखिरी फिल्म देखी थी मैंने।`
`चलो तुम्हे जो फिल्म अच्छी लगी, उसी का नाम बता दो। उसी फिल्म का गाना सुनाऊंगा।`
`मुझे नाम याद नहीं..`
`आहा... क्या गीत है` इधर वाले को अचानक कोई गीत याद आ गया। उधर वाले की बिना परमिशन लिए उसने गाना शुरू कर दिया- `बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम...`
`सच्ची...` उधर वाले ने गाना बीच में ही कटवा दिया।
`कसम चाहे ले लो... ओ.. ओ ... ओ.. खुदा की कसम... बहुत प्यार...` इधर वाले ने कसम शब्द बोलते वक्त वही पिछला सीन दोहरा दिया। यानि ठुड्डी के नीचे गले की चमड़ी फिर हाथ से खींची।
`बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम...` उधर वाले को भी गीत पसंद था।
`वाह क्या आवाज है...` इधर वाले ने उधर वाले की तारीफ की। हालांकि उधर वाले की आवाज में लय-बीट-झंकार जैसी कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वस्तु नहीं थी।
`आगे सुनाओ ना...` उधर वाले की आवाज आई।
`अरे समुंदर की लहरों में, मौजे हैं जितनी...
मुझको भी तुमसे, मोहब्बत है उतनी...` इधर वाला गाना गा रहा था।
`यही बेकरारी ना अब होगी कम....` उधर वाले ने धीमे-धीमे बिना सुर के गाया।
इधर वाले का उत्साह दुगुना हो गया- `बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम...`
`आपने पहले नहीं बताया- आपको भी गाना आता है।` इधर वाले ने पूछा।
`आज तुम्हारे साथ गाते-गाते सीख लिया।` उधर वाले ने इधर वाले को कहा। उधर वाले की आवाज में जो कशिश थी, उससे इधर वाला कुसी पर बिल्कुल निढाल ही हो गया। माथे पर हाथ रख लिया। फोन के रिसीवर को एक चुम्बन दिया- `पुच्च`
`ये क्या कर रहे हो...` उधर वाले ने पूछा।
`आपको प्यार कर रहा हूं।` इधर वाले ने कहा।
`पर गाना बीच में क्यों छोड़ दिया।` उधर वाले ने कहा।
`अं... तेरी आं..खों... के सिवा..आ... दुनिया में रक्खा...` इधर वाले ने गाना शुरू किया।
`ये नहीं...`
`फिर कौनसा`
`वो ही..` उधर वाले ने गुस्से में कहा।
`वो ही... नहीं नहीं... वहीं.. जहां कोई.. आता-जाता नहीं...` इधर वाला उधर वाले के गुस्से से सहम सा गया। उसने दूसरा गाना शुरू कर दिया।
`तुम मेरा गुस्सा जानते हो ना...` उधर वाले ने कहा।
`हां हां जानता हूं। प्लीज नाराज मत होओ। कौनसा सुनाऊं- बहुत प्यार करते हैं वाला`
`हां` उधर वाले जिद करते हुए कहा।
`बहुत प्यार करते हैं तुमको...` इधर वाले ने गाना शुरू किया।
`तुमने तो फिर शुरू से चालू कर दिया।`
`तो फिर...`
`वहां से शुरू करो, जहां से बंद किया था।`
`समुंदर की मौजो में...` इधर वाले के गाने को फिर उधर वाले ने बंद करवा दिया।
`आगे की लाइनें मुझे नहीं आती ना...`
`प्लीज...` उधर वाले ने जिद की।
`अच्छा होल्ड करो...` इधर वाला रिसीवर टेबल पर रखकर कहीं चला गया। चालीसेक सेकेंड बाद भागकर आया- `हैलो... हैलो... तुम्हारी गजल है... के तसव्वुर हमारा..` इधर वाले ने हमारा-तुम्हारा उल्टा-पुल्टा कर दिया।
`तुम्हारी गजल है... के तसव्वुर हमारा...` उधर वाले ने भी साथ में सुर लगाया।
`तुम्हे यूं ही चाहेंगे, जब तक है दम...` इधर वाले ने झटपट गाना पूरा किया।
`आगे की लाइन कहां गई` उधर वाले ने कहा।
`जिससे पूछा, उसको भी इतना ही आता है।` इधर वाले ने मजबूरी जताई।
`कोई बात नहीं...`
`अच्छा खाना खा लिया।` इधर वाले ने पूछा।
`हो कब का ही।`
`कब का?` इधर वाले ने पूछा।
`आठ बजे ही खा लिया था।` उधर वाले ने उबकाते हुए कहा। उधर वाले के उबासी लेने पर इधर वाले को भी उबासी आ गई।
`सब्जी क्या थी।`
`दाल बनी थी आज...`
`आ हा... दाल...`
`बिल्कुल घटिया... मुझे नहीं अच्छी लगती।` उधर वाले ने कहा।
`हां... वैसे महीने में एक-आध बार बने तो अच्छी ही रहती है।` इधर वाले ने कहा।
`तो फिर खाना तो मन मारके खाया होगा...` इधर वाले ने मुंह बनाया।
`एक रोटी खाई बस। टच कर-करके खा ली।`
`देखो आप ऐसा मत किया करो... शरीर कमजोर हो जाएगा।` इधर वाले ने चिंता जताई।
`सो तो है।` उधर वाले ने भी समर्थन किया।
`रात को एक गिलास दूध ही पी लेते...` इधर वाले ने कहा।
`नहीं मुझे दूध अच्छा नहीं लगता।`
`तो फिर क्या अच्छा लगता है` इधर वाले ने पूछा।
`तुम...` उधर वाले ने कहा।
`खाओ मेरी कसम` इधर वाले ने फिर ठुड्डी के नीचे हाथ बढ़ाया। और पहले की ही तरह कुर्सी पर पीछे की तरफ लुढ़क गया।
`मेरा कसम-वसम में विश्वास नहीं है।` उधर से आवाज आई। साथ ही उधर वाले ने एक उबासी ली। इधर वाले पर भी तुरंत प्रभाव पड़ा। उसके भी उबासी आई।
`चलो आप सो जाओ। बहुत रात हो गई है।` इधर वाले ने कहा।
`हां... तुम बहुत इंटे्रस्टिंग हो।` उधर वाले ने कहा।
`सच बताओ... कसम से...` इधर वाले ने कहा।
`मैंने बताया ना- मेरा कसम...`
`जानता हूं, आपका कसमों में विश्वास नहीं है। मुझे मालूम है।` इधर वाला जैसे सब जानता था।
`आप सुबह-सुबह मुझे फोन करके जगा देना...` इधर वाले ने कहा।
`नहीं तुम नींद में होते हो` उधर वाले ने कहा।
`प्लीज...`
`लेकिन मुझे किसी को नींद से जगाना अच्छा नहीं लगता।`
`लेकिन आपका फोन नहीं आया, तो मैं कभी जागा ही नहीं तो...`
`ऐसा मत बोलो प्लीज...` उधर से आवाज धीमी हो गई।
`तो फिर सुबह-सुबह फोन कर देना।`
`तुम उठकर फोन कर लेना ना...`
`मैं क्यों फोन नहीं कर सकता... आपको बता नहीं सकता...`
`रात को भी तो करते हो...`
`रात को तो मैं फ्री होता हूं, और फोन भी तो फ्री है... ऑफिस का है...`
`दिन में मेरा फोन आएगा, तो भी तो तुम्हे फ्री होना पड़ेगा...` उधर वाले ने कहा।
`कोई बात नहीं।` इधर वाले ने कहा।
`अच्छा... गुड नाइट...` इधर वाले ने बड़े प्यार से कहा। साथ ही रिसीवर के साथ वही किया, तो इस बातचीत के दौरान कई बार कर चुका था- `पुच्च`
`गुड नाइट` उधर से आवाज से साथ फोन कट गया। इधर वाले ने थोड़ी देर रिसीवर उठाकर रखा।
`सैंडी भैया... ओ सैंडी भैया... कोई प्रोबलम तो नहीं थी ना... गर्लफ्रेंड थी....` इधर वाले ने कहा और चला गया। अचानक फिर भागकर आया और फोन में दो-चार अन्य नंबर डायल करके काट दिए। ताकि कोई अन्य आकर फोन मिलाए, तो री-डायल में उधर वाले का नंबर ना मिल जाए।