हिंदोस्तां आजाद है

दिल में मेरे दर्द और आंखों में फरियाद है,
कैसे कहूँ फिर तुमसे मैं, कि आज हम आजाद है।
कैसे कहूँ फिर तुमसे मैं, कि आज हम आजाद है।
कुछ यहाँ आबाद हैं, तो सैकड़ों बर्बाद हैं।
मैं बड़ा या तू बड़ा, राम या अल्ला बड़ा,
हर घर और हर गली में, चल रहा फसाद है।
देश के दुश्मन को तुम, अब उठाकर फेंक दो,
देश का दुश्मन ही देखो, कर रहा यह नाद है।
परदे से छुपके देखती अपनी ये जवानियाँ,
और बूढी कमर पे, पूरे जहाँ का भार है।
गाँधी ने दी या भगत ने, आजादी कि सौगात है,
कुर्सियों के बीच में ये चल रहा विवाद है।
खादी ने पारित कर दिया, इक नया संविधान है,
घोडे - गधे सब एक जैसे, मिलके खाते घास है।