दुनिया बड़ी खराब है...


एक हाथ में खंजर, दूजे में शराब है,
सच कहता हूँ दोस्तों, दुनिया बड़ी खराब है।


धन बना ईमान और कुर्सी ही भगवान् है,
साथ
जिसके चल रहा, हुस्न और शवाब है।


कोठे चलाकर जिसने, कोठियाँ कर ली खड़ी,
इस शहर में वो ही, सच्चा नवाब है।


मजबूर आबरू की यहाँ काट देते बोटियाँ,
गरीब की बेटी का जो खा गए कवाब हैं।


एक घर में कुछ जनों ने भर रखी तिजोरियाँ,
और
उधर रोटी की खातिर पूरे शहर में आग है।


कल पढी थी इक खबर, सर्दी से बच्चा मर गया,
इधर कुछ ने ओढ़ रख्खा, सोने का लिहाफ है।

तोड़कर के मस्जिदों को कर दिए अब मठ खडे,
अल्लाह के बंदों का देखो, कुछ नहीं जवाब है।

राम और मोहम्मद में छिड़ चुकी यहाँ जंग है,
हर किसी ने ओढ़ रख्खा, धर्मं का नकाब है।