स्वप्नागार...

ऑफिस से बहुत थक गया था। आज जल्दी घर जाने का सोचकर टेबल से उठ खड़ा हुआ। घड़ी में शाम के सात बज रहे थे। बॉस के केबिन की लाइट जल रही थी। मैं अंदर चला गया। अंदर पहुंचते ही मुझे दिखाई देना बंद हो गया। सर्दी भी जमकर लग रही थी। मैं कांपता हुआ बाहर निकला तो बॉस की लाइट तो जल रही थी, पर बाकी पूरे ऑफिस में अंधेरा था। पास ही एक दीवार पर लालटेन जल रही थी। उसी के पास घड़ी टंगी थी। तीन बज रहे थे, पर अभी थोड़ी देर पहले तो सात बज रहे थे। लेकिन अगर तीन भी बजे हैं, तो इतना अंधेरा क्यों है, सभी लोग कहां गए। मैं बाहर गार्ड के पास पहुंचा। गार्ड ने दीवार पर उल्टे लटके-लटके मुझसे पूछा कि टाइम क्या हुआ है। मैंने कहा तीन बजे हैं। गार्ड ने कहा कि रात को तीन बजे ऑफिस में कौन आता है। उसकी बात सच भी लग रही थी क्योंकि आसमान हरा-हरा सा था और तारे भी जल रहे थे। अचानक पीछे से किसी की पकड़ो-पकड़ो की आवाज सुनाई दी। मैंने पीछे देखा, तो एक आदमी हथौड़ा लेकर मुझे मारने को आ रहा था। मैं भागने लगा। भागते-भागते सड़क के बीच में पहुंचा तो एक तेज बस ने मुझे टक्कर मार दी। मैं रुक गया। बस का आगे का हिस्सा पूरा खत्म हो चुका था। ड्राइवर और कुछ लोग मर चुके थे शायद। चिल्लाने की आवाजें आ रही थी। पर पीछे से पकड़ो-पकड़ो की आवाज सुनकर मैं फिर भागने लगा। रास्ते में कुछ औरतें पानी भर रही थी। मैं उनमें से किसी एक के घड़े के अंदर छिप गया। मैंने सिर बाहर निकालकर देखा हथौड़े वाला आदमी आगे निकल गया था। मैं जैसे ही बाहर निकलने लगा उस औरत ने ऊपर से ढक्कन लगा दिया। मेरा अंधेरे में दम घुटने लगा। मैं बचाओ-बचाओ चिल्लाने लगा। अचानक एक जोरदार झटका लगा और घड़ा फूट गया। वही हथौड़े वाला आदमी सामने खड़ा था। मैं फिर भागने लगा। मेरे पीछे वही आदमी भाग रहा था।


मैं भागता-भागता रेलवे स्टेशन पर पहुंच गया। वहां एक पुलिस वाला खड़ा था। मैं उसके पास मदद के लिए चला गया। मेरे हाथ में चार सूटकेस थे। पुलिस वाले ने तीन सूटकेस मेरे हाथ से ले लिए और मुझे डिब्बे तक छोड़ने चला गया। मैं डिब्बे में बैठ गया। पास की बर्थ पर चार कुत्ते भी लेटे थे। उनमें से एक बीमार था। वे शहर में उसका इलाज कराने ले जा रहे थे। रेल ने अचानक सीटी बजाई और जोर से चल पड़ी। मुझे इस डिब्बे में अच्छा नहीं लगा। मैंने उतरने के लिए चेन खींची, पर गाड़ी और तेज हो गई। मैंने खिड़की से देखा तो पास में ही एक बस भी चल रही थी। मैं भागकर दरवाजे तक गया और छलांग लगा दी। मैं बस पर लटक चुका था। थोड़ी देर बाद मैं नीचे तक सरक गया और सड़क से रगड़ता जाने लगा। बस बहुत तेज चल रही थी। मेरा पूरा शरीर दर्द कर रहा था। मैंने बस को छोड़ देने का सोचा, पर अचानक पीछे देखने पर वही हथोड़े वाला आदमी भागा आ रहा था। वह मेरे पास ही आ गया था। बहुत तेज भाग रहा था। मैंने छलांग लगाई और बस की छत पर कूद गया। मैं चलती हुई बस के अंदर चला गया। मैंने ड्राइवर को सीट से उठा दिया और खुद बस चलाने लगा। बस रेल से आगे निकल चुकी थी। हथोड़े वाला आदमी भी बहुत पीछे रह गया था। अचानक जोर से धमाका हुआ। बस में एफएम बज रहा था। समाचार चल रहे थे। एक रेल में बम ब्लास्ट हुआ है। मैंने अपने पास देखा। मेरे सूटकेस वहां नहीं थे। उनमें बम ही तो थे। मैं रोता हुआ ड्राइवर के पास चला गया। ड्राइवर भी रो रहा था। रेल में उसकी बीवी थी। वो उसे लेने ही रेलवे स्टेशन जा रहा था। अचानक बस झटके के साथ रुक गई। हथौड़े वाले आदमी ने सारी सीटें तोड़ दी थी। स्टीयरिंग भी तोड़ दिया था। मैं नीचे उतरकर भागने लगा।


सामने जंतर-मंतर में बहुत सारे लोग खडे़ थे। पर ये आधी रात को यहां क्या रहे हैं। मैंने एक आदमी से उसकी टोपी उधार ली। दूसरे से उसकी पेंट, तीसरे से कमीज और पहनकर अंग्रेज बन गया। वहां मैंने चाय का ऑर्डर दिया। एक अंग्रेज ने मुझे चाय लाकर दी। मैंने कप हाथ में लेकर देखा, उसमें राख भरी हुई थी। मैंने साथ वाले से पानी मांगा और उसमें मिलाकर पी गया। मेरा जी घबरा रहा था। मैंने एक डॉक्टर से पूछा। उसने मुझे नहाने के लिए कहा। मैं जंतर-मंतर के ऊपर चढ़कर नहाने लगा। टोपी, कमीज और पेंट उतार दी थी। हथौड़े वाला आदमी भी वहीं नीचे खड़ा था। इतनी देर वह मुझे पहचान नहीं पा रहा था। अब वह ऊपर चढ़ने लगा। मेरे ऊपर जहाज उड़ रहा था। मैं डर गया था। मैंने छलांग लगाकर जहाज के पहिये पकड़ लिये। हथोड़े वाला अब तक जंतर-मंतर के ऊपर चढ़ चुका था और मुझे देख रहा था। उसने भी वहीं से आते एक दूसरे जहाज पर छलांग लगाकर उसके पहिये पकड़ लिए। वो जहाज इस जहाज से तेज उड़ रहा था। मेरे पास आने ही वाला था। मैंने पहिये छोड़ दिये और उड़ता हुआ धीरे-धीरे नीचे गिरने लगा। नीचे घास से भरी एक बैलगाड़ी चल रही थी। मैं घास में जाकर गिरा। हथोड़े वाले ने भी जहाज के पहिये छोड़ दिए और नीचे कूद गया। वो एक घोड़ागाड़ी पर गिरा। घोड़ा बहुत तेज दौड़ रहा था। वह मेरे पास आ ही गया था। मैं भागना चाहता था, पर मेरे कदम नहीं उठे। हथौड़े वाला घोड़ा गाड़ी से उतरकर मेरे बिल्कुल पास आ गया। उसने हथोड़ा ऊपर उठाकर कुछ मंत्र पढ़े। हथोड़े की जगह उसके हाथ में एक चाकू आ गया। उसने चाकू मेरे पेट में घुसा दिया। मेरे कुछ भी दर्द नहीं हुआ पर बैलगाड़ी वाला मर गया। उसके पेट में चाकू अभी भी घोंपा हुआ पड़ा था। मैंने उसके पेट से खींचकर चाकू बाहर निकाल लिया। हथोड़े वाला का निशाना चूक गया था। इतने में पुलिस भी आ गई। हथोड़े वाला डरकर भाग गया। लेकिन मेरे हाथ में चाकू देखकर पुलिस ने मुझे पकड़ लिया।


मुझे पुलिस ने जेल में डाल दिया। मैं कोठरी में बैठा रो रहा था कि बावर्ची ने एक थाली में मुझे खाना परोसकर ला दिया। मैं रोते-रोते खाने लगा। अचानक मेरे गले में कुछ तीखा सा चुभा। मैंने हाथ डालकर देखा तो कोई बड़ी सी चीज थी। मैं उसे खींचकर बाहर निकालने लगा। वो एक बड़ी तलवार थी। मेरा गला कुछ कट गया था। खून निकल रहा था। मैं कोठरी के दरवाजे को तोड़कर बाहर निकल गया। जेल का सायरन बजने लगा। सारे दरवाजे बंद हो गए और पुलिस के चार सौ लोगों ने मुझे घेर लिया। मैंने ऊपर देखा बहुत सारे बादल उमड़कर डरावनी सी आवाजें कर रहे थे। मैंने तलवार उछालकर एक बड़े से बादल को काट दिया। वो बादल कटकर पुलिस के लोगो पर गिर गया। सभी पुलिस वाले चीखने-चिल्लाने लगे। मैं छलांग लगाकर जेल से बाहर आ गया। मेरे गले से अभी भी खून निकल रहा था। बाहर एक मोची की दुकान थी। मैं उसके पास चला गया। उसने मुझे लेटाकर मेरे गले को सुईयों से सिल दिया। अब खून बंद हो गया था। मुझे जोरों से भूख लगी थी। मैंने एक फलों की दुकान खरीद ली और बैठकर सेब खाने लगा। बाहर मैंने देखा तो एक आदमी मुझे घूर रहा था। मुझे चेहरा जाना-पहचाना सा लगा। उसने हाथ ऊपर करके एक मंत्र पढ़ा। अब मैं उसे पहचान गया था। मैंने एक सेब की टोकरी उसके सर पर दे मारी। वह आदमी गिर गया उसके बहुत चोट लगी थी। मैं उसे संभालने जाना चाहता था, लेकिन पास में हथोड़ा देखकर भागने लगा।


मैं भागते-भागते थक गया था। बीच रास्ते में एक बहुत बड़ी नदी थी। मैं वहां रुककर आराम करने लगा। किसी के कदमों की आवाज से मेरी नींद खुल गई। पुलिस वाले मुझपर बंदूक ताने खड़े थे। मैं उठ कर खड़ा हो गया। मैं धीरे-धीरे पीछे खिसकने लगा। पीछे नदी थी, लेकिन मुझे तैरना तो आता ही नहीं था। मैं जैसे ही नदी में कूदने लगा, पुलिस वालों ने गोलियां चलानी शुरू कर दी। मेरे पूरे शरीर में गोलियां ही गोलियां लग गई थी। मैं बेहोश होकर नदी में गिर गया। सारे दिन पुलिस वाले मुझे नदी में ढूंढते रहे, पर मैं नहीं मिला। मेरी बेहोशी धीरे-धीरे छंटने लगी। मैं जाग गया। मैंने देखा मैं एक सुंदर से कमरे में था। बिस्तर बहुत ही मुलायम था। मैंने बिस्तर को हाथ से दबाया तो चौंक कर दूर खड़ा हो गया। बहुत सारे सांपों को एक जगह इकठ्ठा कर उसका बिस्तर बनाया हुआ था। मैं डरकर कमरे से बाहर भागा। दरवाजा खोलते ही कमरे के अंदर पानी घुसने लग गया। मैंने फिर से दरवाजा बंद कर दिया। सभी सांप जाग गए थे। वे मुझे खाने के लिए पास आ रहे थे। इतने में कमरे का दरवाजा खोलकर एक सुंदर युवती अंदर आ गई। सभी सांप दुबक कर वापस बिस्तर बन गए। मैं उस पर मोहित हो गया। उसने मुझे बताया कि वह किस प्रकार पिछले अठारह सालों से मेरी सेवा कर रही है। तो क्या मैं अठारह सालों से बेहोश था, मैंने उससे पूछा। मुझे याद आने लगा- मेरे शरीर में गोलियां लग रही थी। मैं नदी में कूद गया था। मेरे मुंह, कान, नाक में पानी घुस गया था। मैं सांस नहीं ले पा रहा था। फिर एक सुंदर स्त्री ने मुझे अपनी गोद में ले लिया। उसके बाद मैं बेहोश हो गया था। लेकिन वह स्त्री तो वृद्ध लग रही थी, फिर यह नवयौवना कैसे हो गई। युवती ने बताया कि वह उसकी मां थी, अब वह जिंदा नहीं है। यह युवती सर्पकन्या थी। मैं इससे विवाह करना चाहता था। मैंने उसे अपने मन की बात बता दी। हमारा विवाह हो गया। विवाह के दस सालों में उस युवती ने आठ सौ सोलह सांपों को जन्म दिया। मैं भी अब सर्पपुरुष बन चुका था।


एक दिन हम दोनों नदी से बाहर आकर जंगलों में विहार कर रहे थे। वहां एक साधु तपस्या कर रहे थे। हम लोगों ने उनकी तपस्या भंग कर दी। उन्होंने शाप देकर मेरी पत्नी को जला दिया। उन्होंने मुझ पर भी कमंडल का जल छिड़का। मैं बेहोश हो गया। अब मुझे होश आ रहा है। मेरे चारों तरफ भीड़ लगी है। मेरे पैरों के पास बैठकर एक आदमी रो रहा है। मैं उसे पहचान की कोशिश कर रहा हूं। उसके पास एक चादर है। चादर में से मुझे हथौड़ा दिखाई दे गया। मैं भागने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन भाग नहीं पा रहा हूं। मेरे दाहिने तरफ चार सौ पुलिस वाले बैठकर रो रहे हैं। मेरे बायें तरफ बहुत सारे सांप बैठे थे। वो भी रो रहे थे। मैं उनको गिनने लगा पूरे आठ सौ सोलह सांप थे। बहुत सारे लोग मेरे सिर की तरफ बैठकर रो रहे थे। उनमें से एक को मैं पहचान गया। वो वही बस वाला है, जो मुझसे टकराकर मर गया था। मैं भी उठकर बैठ गया और सबके साथ मिलकर रोने लग गया।