मे आई हैव योर अटेंशन प्लीज...

नई दिल्ली का रेलवे स्टेशन। बाहर से ही काले-पीले कई लोगों को देखकर मिस्टर एक्स बिदक सा गया। कंधे के नीचे फुदकती हुई सी कोई चीज कह रही थी कि बस अच्छा ऑप्शन है। पर कदम एक प्लेटफार्म तय कर चुके थे।

प्लेटफार्म नं. 18, समय - शाम 7.30 बजे
मिस्टर एक्स (चाय वाले से) - तूफान कहां आएंगी।
पास खड़ा दूसरा यात्री नहीं समझ पाया। तूफान आती थोड़े ही है, आता है। हंसना चाहता था। तीसरा यात्री दूसरे यात्री की परेशानी जान गया था, वह दूसरे से पहले मुस्कुरा गया।
चाय वाला- दो पर। जाने वाली है जल्दी भाग।
मिस्टर एक्स- और टिकट?
चाय वाला- तू टिकट पर बैठकर जाएगा?
मिस्टर एक्स- ट्रेन पर।
चाय वाला- तो पहले ट्रेन पकड़...

मिस्टर एक्स को ट्रेन के चलने का समय मालूम चल गया। वह बदहवास सा भागने लगा। प्लेटफार्म पीछे छूटने लगे। सत्रह-सोलह, पन्द्रह-चौदह, तेरह-बारह, ग्यारह-दस, नौ-आठ, सात-छह, पांच-चार, तीन और ये दो। मिस्टर एक्स की सांस फूल गई। लेकिन अभी दम लेने का समय नहीं था। भागा और तेज भागा। ट्रेन चल रही थी। मिस्टर एक्स ने गति तेज की। टे्रन ने भी गति पकड़ ली। अब मिस्टर एक्स के पास दो ऑप्शन थे- एक भागकर ट्रेन पर चढ़ने का रिस्क ले या फिर उसे मिस कर दे। कंधे के नीचे उसी फुदकती चीज ने दूसरे ऑप्शन को अच्छा बताया। मिस्टर एक्स प्लेटफार्म पर एक सीट पर बैठ गया। घड़ी में समय देखा- पूरे सात बजकर चालीस मिनट। मिस्टर एक्स ने जिंदगी की पहली ट्रेन देखी जो समय पर छूटी। शायद मिस्टर एक्स को नहीं जाना होता, तो वो ट्रेन भी लेट चलती। पास ही एक मिस्टर ट्रिपल एक्स से कोई गांव वाला बात कर रहा था। गांव वाले की कोई बात नहीं सुन रही थी, लेकिन मिस्टर ट्रिपल एक्स की आवाज सॉलिड थी।


मिस्टर ट्रिपल एक्स- ओ तेरे को जाना किधर हे?
गांव वाला- (मुझे सुनाई नहीं दिया)
मिस्टर ट्रिपल एक्स- वो चला गया... (शायद ट्रेन चली गई।)


मिस्टर ट्रिपल एक्स का ऊंचा तगड़ा शरीर था। सिर पर बिल्कुल बाल नहीं। देखने में छह फुट से अधिक का और साउथ इंडियन नौजवान। मिस्टर एक्स को उससे कुछ आस जगी और उसके पास चले गए।
मिस्टर एक्स- भाईसाहब गंगानगर की कोई ट्रेन है क्या?
मिस्टर ट्रिपल एक्स- चार घंटा लेट हे


बैकग्राउण्ड से आवाज- कृपया ध्यान दीजिए... हावड़ा से चलकर ... जींद ... अंबाला कैंट... होती हुई... श्रीगंगानगर ... जाने वाली उद्यान आभा ... तूफान एक्सप्रेस... अपने निर्धारित समय से... चार ... घंटे ... देरी से चल रही है। असुविधा के लिए खेद है।
मे आई हैव योर अटेंशन प्लीज... (पिछले वाक्य का इंग्लिश रूपांतरण)



मिस्टर एक्स आकर एक बैंच पर बैठ गए। सामने एक ट्रेन खड़ी थी नाम था बेंगलोर एक्सप्रेस। मिस्टर एक्स की साथ वाली सीट पर ही दो लड़कियां बैठी थी। पहली लड़की का फेस दूसरी तरफ जबकि दूसरी का फेस पहली वाली लड़की की तरफ या यूं कहिये मिस्टर एक्स की तरफ। खानदानी लड़कियां लग रही थी, इंग्लिश में बात चल रही थी। दूसरी वाली पहली वाली को कभी जीभ निकालकर दिखाती कभी कुछ और अकड़म-बकड़म करके। मिस्टर एक्स कभी ट्रेन को कभी इधर-उधर प्लेटफार्म पर ही और कभी -कभी झुरझुरी निगाह से दूसरी वाली को देख लेता। मिस्टर एक्स दूसरी वाली को देखकर मुस्कुरा दिया। दूसरी वाली भी बार-बार मिस्टर एक्स की तरफ लगभग-लगभग देख ही रही थी। बस इसी लगभग-लगभग के चक्कर में मिस्टर एक्स ने एक पुच्ची (पप्पी) सप्लाई की। अब से लगातार दो मिनट तक मिस्टर एक्स ने दूसरी वाली की तरफ देखा, लेकिन दूसरी वाली ने बिल्कुल रेस्पोंस नहीं दिया। शायद पहली ही मुलाकात (जो अभी हुई भी नहीं थी) में पुच्ची सप्लाई करना अअभद्रता माना जाता हो। मिस्टर एक्स ने गर्दन झुका ली। पांच-सात मिनट तक कहीं भी नहीं देखा। ट्रेन की तरफ भी नहीं, मिस्टर ट्रिपल एक्स की तरफ भी नहीं। अचानक लगभग-लगभग की तरफ नजरें गई तो दूसरी निगाह अभी इधर ही डोल रही थी। मिस्टर एक्स की फुदकती चीज को कुछ तसल्ली मिली। फुदकती चीज बाग-बाग हो गई। सामने वाली ट्रेन चल पड़ी। दूसरी वाली पहली वाली में मशगूल और मिस्टर एक्स दूसरी वाली में। हर तरफ प्यार का कारोबार चल रहा था। ट्रेन निकल जाने के दस मिनट बाद पहली वाली ने पास ही ठेले वाले से कुछ पूछा। फिर दूसरी वाली को बताया। दोनों के चेहरे लटक गए। पहली वाली ने मोबाइल निकाल लिया।


दूसरी वाली (पहली वाली से) - पापा ममा को इनफार्म कर दो, हम यहीं रुक जाते हैं।
पहली वाली (मोबाइल पर)- बट यार। मेरे सामने खड़ी थी। आय डोंट अमेजिंग... बेंगलोर और कर्नाटक एक होता है यार (हाथ हिला-हिलाकर रोनी सी सूरत बनाकर) वट कैन आय डू। दिस डे विल किलिंग दैट माय मिस्टेक (शब्दों पर जोर लगाकर। शायद हिन्दी में आसानी से बात कर सकती थी।) मैं इन्क्वायरी से पूछती हूं।
दूसरी वाली उसी के पास खड़ी थी। मोबाइल पर बात खत्म कर दोनों चली गई। मिस्टर एक्स को कंधे के नीचे कुछ गीला-गीला सा लगा। लेकिन फुदकती चीज के आंसू तो आज तक नहीं देखे किसी ने। मिस्टर एक्स ने सिर पर हाथ फैलाकर निश्वाश छोड़ा। पीछे की सीट पर मिस्टर ट्रिपल एक्स बैठा था। हाथ उसके टच हो गया।
मिस्टर ट्रिपल एक्स- क्या करता है यार?
मिस्टर एक्स सॉरी-सॉरी कहकर चुपचाप बैठ गया।


प्लेटफार्म नं. 2, समय - रात 11.40 बजे
बैंच पर तीन लोग बैठे हैं। इस तरफ मिस्टर वाई। दूसरी तरफ मिस्टर जेड और बीच में मिस्टर एक्स। तीनों को एक ही ट्रेन से जाना है इसलिए आपस में बातचीत शुरू हो चुकी है।
मिस्टर एक्स- अंकल तुवांनू कित्थे जाना है? (मिस्टर वाई का सरदारी लुक देखकर पूछा।)
मिस्टर वाई- अमृतसर। (और कुछ भी कहते, पर मिस्टर एक्स ने पहले ही बात शुरू कर दी।)
मिस्टर एक्स- ओ जी भोत ही अच्छा शहर है। गोल्डन टेंपल जा रहे होओगे। भोत मस्त जगह है जी।
मिस्टर वाई- नहीं-नहीं ओस तों आगे व्यास चे जाना है।
मिस्टर एक्स- ओ हो, ए तां भोत ही अच्छी बात है। बाबाजी दे जा रे हो। भोत ही अच्छा बाबा है जी। कैंदे हैं ओत्थे (मिस्टर एक्स पंजाबी बोलने में लगा था, लेकिन उसे जितने शब्द आते थे, पहले ही वाक्य में सब प्रयोग कर लिए। अब और शब्द ही नहीं मालूम, तो हिंदी शुरू हो गई।) हैं जी अंकल जी मन खुश हो जाता है वहां पहुंच के।
मिस्टर वाई- ओ नई-नई, ओस तो आंग्गे गांव चे पतीजे दी मेरिज हेग्गी। एक्क भाई चंडीगढ़ तों आरा है।

बैकग्राउण्ड से आवाज- कृपया ध्यान दीजिए... हावड़ा से चलकर ... जींद ... अंबाला कैंट... होती हुई... श्रीगंगानगर ... जाने वाली उद्यान आभा ... तूफान एक्सप्रेस... अपने निर्धारित समय से... छह ... घंटे ... देरी से चल रही है। असुविधा के लिए खेद है।

मिस्टर जेड- ए पैंचो.... मार के छड्डूगे। (एनाउंसमेंट के साथ मिस्टर जेड जो चुपचाप बैठे थे बोल पड़े। ट्रेन के दो घंटे और लेट होने पर उन्हें बड़ी निराशा हुई।)
मिस्टर एक्स (मिस्टर वाई से)- आप कहां के हो अंकल जी।
मिस्टर वाई- कोंअंटूर।
मिस्टर जेड- बड़ी ही शानदार जगह हैग्गी जी। ऊटी ओत्थे ही है ना। (मिस्टर एक्स को दो-तीन बार बोलने के बाद समझ आया कि मिस्टर वाई कोयम्बटूर के हैं। जबकि मिस्टर जेड पहले ही समझ चुका था।) थोड़ा मैंगा जरूर है।
मिस्टर वाई- महंगाई तो कित्थे नहीं है जी।
मिस्टर जेड- हां जी। ए पैंचो मनमोहन, इसके पल्ले कुछ नहीं है। ओ पहले ही कैंदा है- मैंगाई तो बढ़ेगी।
मिस्टर वाई- महंगाई भी है और सामान भी खराब मिलदा है।
मिस्टर जेड- हां जी, हां जी।
मिस्टर वाई- अब ए जेड़ा दूध है... ओ सही है? ओसचे पता है की मिलांदे हैं।
मिस्टर जेड- की?
मिस्टर वाई- सर्फ मिलांदे हैं।
मिस्टर जेड- कपड़े धोण हाला?
मिस्टर वाई- दूध का अलग सर्फ आंदा है। एक चमच सर्फ नाल एक बाल्टी दूध बनदा है।
मिस्टर जेड- ओ सही है जी, ए पैंचो मार के छडणगे। एना नूं पता नई की खुशी मिलदी है हराम दे माल ते।


बैकग्राउण्ड से आवाज- कृपया ध्यान दीजिए... हावड़ा से चलकर ... जींद ... अंबाला कैंट... होती हुई... श्रीगंगानगर ... जाने वाली उद्यान आभा ... तूफान एक्सप्रेस... अपने निर्धारित समय से... सात ... घंटे ... देरी से चल रही है। असुविधा के लिए खेद है।

मिस्टर जेड- ए पैंचो भी पता नई की चांवदा है। (मिस्टर जेड का मोबाइल दो-तीन बार बजता है, वे बार-बार काट देते हैं।)
मिस्टर वाई- ओ जी ए तो श्यापा है। ऐनूं डायरेक्ट जेब चे नई रखणा चाइदा। ऐंदी वायलेट निकलदी हैग्गी।
मिस्टर जेड- हैं जी?
मिस्टर वाई- ऐदे नाल कुछ कागज डाल लो, रुपए डाल लो। थल्ले पाओगे, थल्ले हाली चीज खराब हो जांदी है। उत्ते पाओगे, हार्ट फेल हो जांदा है।
मिस्टर जेड- अच्छा जी?
मिस्टर वाई- होर की। अब साडे कोंअंटूर चै। कुडिया चौबी-चौबी घंटे कन्न के लाई फिरदी है। पता नई केस प्यो नाल गल्लां करदी है।
मिस्टर जेड- ओ जी एनां नू पैंचोदां नूं तो फांसी चे लटका देना चाइदा। ए मोबाइल बरबाद कर दूगा हिन्दुस्तान नूं। (थोड़ा रुककर) ऐन्ने कोछ नई सिखाया, झूठ बोलना सिखाया। मैं तो पैंचो नूं ट्रेन दे थल्ले गेरदां, मजबूरी हैग्गी जी।


प्लेटफार्म नं. 2, समय - रात 3.10 बजे
मिस्टर जेड- पैंचो ने होण तां अनाउंसमेंट ही बंद कर दी। सात घंटे होए तां आधा घंटा बीत गया।
मिस्टर एक्स- भोत ही परेशान कर रही है जी ट्रेन।
मिस्टर जेड- पैंचो, आ गई तो गोली मार दूंगा पैंचो नूं।
मिस्टर एक्स- भाईसाब आज मत मारना, कल दुबारा आकर मार देना। आज तो पहले से ही लेट हो गए हैं। (मिस्टर एक्स थोडा हंसा)
मिस्टर जेड- ओ जी पैंचो उतरते टाइम बम रखदे कोई एस चे।
मिस्टर ट्रिपल एक्स (पीछे वाली बेंच पर बैठे थे, साथ वाले से बोले)- मैं एक बार सो गया, तो फिर उठूँगा नहीं। ये इतना देर से आ रहा है। (शायद ट्रेन के बारे में बोले।)


बैकग्राउण्ड से आवाज- कृपया ध्यान दीजिए... हावड़ा से चलकर ... जींद ... अंबाला कैंट... होती हुई... श्रीगंगानगर ... जाने वाली उद्यान आभा ... तूफान एक्सप्रेस... आधे घंटे में... प्लेटफार्म नं. 2 पर पहुंच रही है। यात्री कृपया ध्यान दें।


सबको कुछ तसल्ली मिली। मिस्टर एक्स उठकर ट्रेन को देखने चले गए। मिस्टर वाई ने शुरूआत में बहुत कोशिश की थी, लेकिन नींद नहीं आई, पर अब सो रहे थे। मिस्टर जेड ने भी सिर पर शॉल ओढ़ ली। अब उन्हें सर्दी लग रही थी। एक घंटे बाद ट्रेन प्लेटफार्म पर आ गई। और निर्धारित समय से नौ घंटे देरी से चली।