मां


मां -

शब्द ही काफी है, आंखों को छलकाने के लिए... मां शब्द का महत्व उन लोगों से पूछो जो किसी कारणवश मां से दूर हैं। कोई नौकरी के लिए मां से दूर है, तो कोई अपनी मां से इसलिए दूर है क्योंकि उसकी मां बहुत दूर है। मैं भी लगभग चार-पांच सालों से मां दूर हूं, इसलिए उसका महत्व जानता हूं। कई बार दो-चार महीनों में घर जाता हूं, तो मां की गोद में जरूर सोता हूं। उसका साथ ऐसा लगता है, जैसे इतने दिन जंगल में भटक रहा था और अब भगवान की गोद में आ गया हूं। चार महीने पहले दो लाइन लिखकर रख दी थी। आज जाकर पूरी हुई है-

रात में कई बार मुझको तू सुलाती है,

जब भी होता मैं अकेला, मां तेरी याद आती है।


तू मिल जाए मुझको बस, मैं तुझसे ’यादा क्या मांगूं,

इस जंगल में मुझको बस, तेरी ही सूरत भाती है।


तुझे देख-देख के मां मेरा, कई बार जागरण होता है,

हर बार हवन जब करता हूं, तेरी ही खुश्बू आती है।


बच्चा था, बदमाशी करता था, लोगों से लड़ता फिरता था,

तेरा आंचल मेरा कवच बना, जब दुनिया मुझे डराती है।


मैं जब-जब राह से भटक गया, तूने उंगली मेरी थामी है,

तू पास रहे या दूर कहीं, मुझे हरदम राह दिखाती है।