मां

भूखे बच्चों की तसल्ली के लिए
मां ने फिर पानी पकाया देर तक।
- नवाब देवबंदी
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मां मुझे देखकर नाराज ना हो जाए कहीं,
सर पर आंचल नहीं होता है, तो डर लगता है।
- अंजुम रहबर
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बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी मां।
याद आती है चौका बेसन, चिमटा फुकनी जैसी मां।
बन के खुररी खाट के ऊपर, हर आहट पर कान धरे,
आधी सोई, आधी जगती, थकी दुपहरी जैसी मां।
चिडि़यों की चहकर में गूंजे, राधा मोहन अली-अली,
मुरगे की आवाज से खुलती, घर की कुण्डी जैसी मां।
बीवी, बेटी, बहन पड़ोसन, थोड़ी-थोड़ी सी सब में,
दिनभर इक रस्सी के ऊपर चलती, नटनी जैसी मां।
बांट के अपना चेहरा माथा, आंखें जाने कहां गई,
फटे पुराने इक एलबम में, चंचल लड़की जैसी मां।
- निदा फाजली
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तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ए फलक,
मुझे मेरी मां की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।
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किसी को घर मिला हिस्से में, या कोई दुकान आई,
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई।
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हादसों की गर्द से खुद को बचाने के लिए,
मां हम अपने साथ बस तेरी दुआ ले जाएंगें।
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ये ऐसा कर्ज है, जो मैं अदा कर ही नहीं सकता,
मैं जब तक घर ना लौटूं, मां सजदे में रहती है।
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निकलने ही नहीं देती अश्कों को मेरी आंखों से,
ये बच्चे हमेशा मां की निगरानी में रहते हैं।
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कुछ नहीं होगा, तो आंचल में छुपा लेगी,
मां कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी।
- मुन्नवर राणा
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एक मुद्दत से मेरी मां सोई नहीं ताबिश,
मैंने एक बार कहा था, मुझे डर लगता है।
- फजल ताबिश